उत्तराखंड में यूपी के माफियाओं का तांडव: वन संपत्ति पर खतरा
उत्तर प्रदेश के माफियाओं का उत्तराखंड के जंगलों में तांडव देखने को मिल रहा है। दिन के उजाले में, ये माफिया अपने दल-बल के साथ हथियार लेकर प्रतिबंधित जंगलों में घुस जाते हैं और वन संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह मामला तराई पश्चिमी डिवीजन क्षेत्र के आमपोखरा रेंज से जुड़ा है, जहां लकड़ी माफिया बिना नंबर प्लेट वाले वाहनों के साथ जंगलों में घुसकर अवैध रूप से पेड़ काट रहे हैं।
जंगलों में माफियाओं का कब्जा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा माफियाओं पर की गई कार्रवाई के बाद, लकड़ी माफियाओं ने अब उत्तराखंड की ओर रुख कर लिया है। इन माफियाओं का एक दल धारदार पेड़ों को काटने वाले हथियारों के साथ जंगलों में घुसकर वन संपत्ति को चिप्स के रूप में बदलकर ऊंचे दामों में बेच रहा है।
जंगलों में इनकी गतिविधियों की खबर क्षेत्रीय रेंजर को नहीं लगती, या फिर यह कहा जा सकता है कि उन्हें इस अवैध कारोबार की इजाजत दी जा रही है। जिन जंगलों में ये तस्कर घुसते हैं, वहां एक ही रास्ता है और उस रास्ते पर निगरानी के लिए वन चौकी भी बनाई गई है। इसके बावजूद, माफियाओं के वाहन बिना नंबर प्लेट और कतार मशीनों के साथ घुसकर वन संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं।
जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी
जब इस मामले पर तराई पश्चिमी डिवीजन के मुखिया प्रकाश चंद्र आर्य से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रकाश चंद्र आर्य ने कहा, “ये ऐसा कोई प्रकरण मेरी जानकारी में तो नहीं है, लेकिन आपके द्वारा यदि इसको उठाया गया है तो हम इस पर जरूर गौर करेंगे। अगर इसमें कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर जरूर कार्यवाही की जाएगी।”
भविष्य की चुनौतियाँ
उत्तराखंड में यूपी के माफियाओं का यह तांडव वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाता है। क्या वन विभाग इन माफियाओं तक पहुँच पाएगा? यह आने वाला वक्त बताएगा। वहीं, जंगलों में हुई अवैध कटाई से हुए नुकसान का आंकलन करना भी एक चुनौती होगी।
क्या यूपी के माफियाओं के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज होगा? यह भी देखने वाली बात होगी। इस पूरे मामले को जांच के नाम पर दफन कर दिया जाएगा या फिर इसमें ठोस कार्रवाई होगी, यह समय ही बताएगा।