नोएडा की नदियों का पानी पीने लायक नहीं: हिंडन और यमुना का प्रदूषण गंभीर
नोएडा, जो हिंडन और यमुना नदियों के बीच बसा है, दुर्भाग्यवश इन दोनों नदियों का पानी पीने और नहाने के लायक भी नहीं है। हाल ही में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीबी) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों ने इस स्थिति को स्पष्ट किया है।
हिंडन नदी का चिंताजनक हाल
यूपीपीसीबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, हिंडन नदी के डाउनस्ट्रीम में टोटल कोलीफार्म की मात्रा 28 लाख एमपीएन प्रति 100 मिली रिकॉर्ड की गई है। यह मानकों से 560 गुना अधिक है, जो कि 5,000 एमपीएन प्रति 100 मिली होनी चाहिए। इसके अलावा, बायो ऑक्सीजन मांग (BOD) 18 मिग्रा प्रति लीटर पाई गई, जबकि यह 3 मिग्रा प्रति लीटर या उससे कम होनी चाहिए।
साफ शब्दों में कहें तो मनुष्य के लिए इस पानी का उपयोग करना तो दूर, जलीय जीवन के लिए भी यह पानी अनुपयुक्त है।विशेषज्ञों का कहना है कि इस अत्यधिक प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिक अपशिष्ट, सीवेज और अन्य हानिकारक तत्व हैं जो सीधे नदी में गिरते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, कई अवैध उद्योगों ने भी नदी के किनारे स्थापित होकर प्रदूषण बढ़ाया है।
यमुना नदी की स्थिति
यमुना नदी की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा एनजीटी में दी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि यमुना में दिल्ली और नोएडा के बीच 22 बड़े नाले गिरते हैं। इनमें से 13 नालों से 2,976 एमएलडी सीवर गिर रहे हैं। केवल नौ नालों को ही अभी तक टेप किया जा सका है। कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में प्रदूषण अधिकतम होता है, जहां नदी में बने झाग साफ दिखाई देते हैं।
दिल्ली में यमुना नदी की जल गुणवत्ता पर एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि कई स्थानों पर घुलित ऑक्सीजन (DO) का स्तर बहुत कम है, जिससे जलजीवों के लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, पल्ला में DO स्तर मानकों के अनुसार था, लेकिन अन्य स्थानों पर यह शून्य था।
पर्यावरण कार्यकर्ता अभिष्ट कुसुम गुप्ता ने कहा कि यह विडंबना है कि नोएडा शहर दो नदियों के बीच बसा है, लेकिन इनका पानी मानव उपयोग के लायक नहीं है। अतिक्रमण के कारण नदियों का दायरा कम होता जा रहा है। मास्टर प्लान 2021 और 2031 ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है, जिससे नदियों के किनारे निर्माण कार्य हुआ है।
अतिक्रमण रोकने में प्राधिकरण की असफलता
नोएडा प्राधिकरण ने अपने मास्टर प्लान में नदियों को नजरअंदाज कर दिया है। पिछले वर्षों में कई बार अदालतों ने अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं, लेकिन प्राधिकरण ने इन आदेशों का पालन नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, कई क्षेत्रों में नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हुआ है।
नोएडा प्राधिकरण ने हिंडन रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिए एनजीटी के आदेश के बाद अब जरूरी कवायद शुरू की है। इस कदम से उम्मीद जताई जा रही है कि नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।हालांकि, इस दिशा में उठाए गए कदमों की सफलता तब ही संभव होगी जब स्थानीय प्रशासन और नागरिक दोनों मिलकर काम करें। यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में इन नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।