ईडी ने नोएडा अथॉरिटी में भ्रष्टाचार जांच का दायरा बढ़ाया, पूर्व अध्यक्षों की भूमिका पर भी होगी नजर

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ईडी ने नोएडा अथॉरिटी में भ्रष्टाचार जांच का दायरा बढ़ाया

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोएडा अथॉरिटी में कथित भ्रष्टाचार की जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह के साथ-साथ उनके उत्तराधिकारी रमा रमण के कार्यकाल की भी जांच की जाएगी। रमा रमण 2010 से 2016 तक लगभग तीन साल से अधिक समय तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी के अध्यक्ष पद पर रहे थे।

रमा रमण का विवादास्पद कार्यकाल

रमा रमण के कार्यकाल में कई बिल्डरों को दी गई जमीन आवंटन की प्रक्रिया की गहन जांच की जाएगी। यह कदम मोहिंदर सिंह के बयान के बाद उठाया गया है, जिन्होंने ईडी को बताया था कि वह 2010 में सीईओ पद से हट गए थे और प्रॉजेक्ट से जुड़ी बाकी औपचारिकताएं उनके बाद तैनात रहे अफसरों के कार्यकाल में पूरी हुईं।

रमा रमण का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। उनके खिलाफ नोएडा निवासी जितेंद्र कुमार गोयल की याचिका पर कार्रवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई 2016 को उनकी शक्तियां जब्त कर ली थीं। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को रमा रमण को किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

जांच का विस्तार

ईडी की यह व्यापक जांच नोएडा अथॉरिटी में 2010 से 2016 के बीच तैनात रहे सभी वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर केंद्रित होगी। इस जांच से न केवल कथित भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा होने की उम्मीद है, बल्कि यह नोएडा के विकास में हुई अनियमितताओं पर भी प्रकाश डालेगी।

नोएडा अथॉरिटी में कथित भ्रष्टाचार की जांच का यह विस्तार पिछले वर्ष सामने आए भूमि आवंटन घोटाले के बाद किया गया है। 2005-2018 की अवधि में नोएडा प्राधिकरण द्वारा प्लॉटों के आवंटन में व्यापक भ्रष्टाचार, निजी कंपनियों को अनुचित पक्षपात, तथा अधिकारियों और निर्माताओं के बीच मिलीभगत के कारण करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ऑडिट रिपोर्ट में इन अनियमितताओं का खुलासा किया गया था।

नोएडा अथॉरिटी में कथित भ्रष्टाचार की जांच का विस्तार निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा करेगा। यह जांच न केवल अधिकारियों के कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों को उजागर करेगी, बल्कि राज्य सरकार पर भी सवाल खड़े करेगी। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विकास परियोजनाओं में हुए कथित घोटालों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ, यह जांच भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने में भी मदद करेगी।