सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा: क्या कानून बनाने से अनिश्चितता नहीं होती?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पंजाब सरकार से उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सवाल किया कि क्या एक पार्टी की सरकार द्वारा बनाए गए कानून को दूसरी पार्टी की सरकार द्वारा निरस्त करने से अनिश्चितता नहीं पैदा होती है। यह सुनवाई खालसा यूनिवर्सिटी (रिपिल) एक्ट, 2017 को रद करने की मांग वाली याचिका पर हो रही थी।
सुनवाई का विवरण
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर चर्चा की। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद-14 (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा, “अगर एक पार्टी की सरकार कोई कानून बनाए और उसके बाद दूसरी पार्टी की सरकार उसे खत्म कर दे, तो क्या इससे अनिश्चितता नहीं होगी?”
खालसा यूनिवर्सिटी एवं खालसा कॉलेज चैरिटेबल सोसायटी ने हाई कोर्ट के नवंबर 2017 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने कहा था कि खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट, 2016 के तहत खालसा यूनिवर्सिटी का गठन किया गया था।30 मई, 2017 को खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट को निरस्त करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था, जिसके बाद निरस्तीकरण विधेयक, 2017 पारित किया गया।
निरस्तीकरण विधेयक पर विवाद
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि निरस्तीकरण विधेयक मनमाना था और इस कार्रवाई में अनुच्छेद-14 का उल्लंघन हुआ। जबकि पंजाब सरकार के वकील ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि इसमें कुछ भी मनमाना नहीं है।उन्होंने बताया कि 2016 में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार ने कानून बनाया था, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे निरस्त कर दिया।
पंजाब सरकार ने यह भी कहा कि 2017 के कानून को यूनिवर्सिटी के किसी भी छात्र या शिक्षक ने चुनौती नहीं दी है और छात्रों के हित किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुए हैं।