राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ समेत 9 नेताओं की सुरक्षा में बड़ा बदलाव: NSG कमांडो हटाए गए
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत 9 प्रमुख नेताओं की सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) कमांडो को हटाने का आदेश दिया है। यह निर्णय हाल ही में लिया गया है, जिसमें आतंकवाद विरोधी बल एनएसजी के कमांडो को वीआईपी सुरक्षा से पूरी तरह मुक्त करने का निर्देश दिया गया है।
नई सुरक्षा व्यवस्था का परिचय
अब इन नेताओं की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के प्रशिक्षित जवान संभालेंगे। इस बदलाव में शामिल प्रमुख नेता हैं:
- राजनाथ सिंह (केंद्रीय रक्षा मंत्री)
- योगी आदित्यनाथ (मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)
- मायावती (बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो)
- एलके आडवाणी (भाजपा के वरिष्ठ नेता)
- सर्बानंद सोनोवाल (केंद्रीय मंत्री)
- रमन सिंह (छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री)
- गुलाम नबी आजाद (जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री)
- फारुक अब्दुल्ला
- चंद्रबाबू नायडू (आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री)
ASL प्रोटोकॉल का कार्यान्वयन
राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ को एडवांस सिक्योरिटी लाइन (ASL) प्रोटोकॉल के तहत विशेष सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। इस प्रोटोकॉल के अंतर्गत वीआईपी के आगमन से पहले उनकी यात्रा स्थल की सुरक्षा जांच की जाती है। पहले यह कार्य एनएसजी कमांडो द्वारा किया जाता था, लेकिन अब यह जिम्मेदारी भी CRPF के जवान संभालेंगे।
गृह मंत्रालय ने संसद सुरक्षा के लिए एक नई बटालियन को मंजूरी दी है, जो जल्द ही CRPF में शामिल होगी। यह कदम संसद भवन की सुरक्षा को मजबूत करने की नीति का हिस्सा है, जिससे संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा में सुधार किया जा सके।
एनएसजी कमांडो का नया फोकस
एनएसजी को वीआईपी सुरक्षा से मुक्त करने के बाद अब उन्हें आतंकवाद विरोधी कार्यों पर पूरी तरह केंद्रित किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत में उभरती आतंकवादी चुनौतियों को देखते हुए किया गया है। एनएसजी को विशेष प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे वे आतंकवादी हमलों के खिलाफ अधिक प्रभावी ढंग से निपट सकें।
यह बदलाव भारतीय राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि सरकार अपनी प्राथमिकताओं को कैसे निर्धारित कर रही है। अब देखना यह होगा कि नई सुरक्षा व्यवस्था कितनी प्रभावी साबित होती है और क्या यह नेताओं की सुरक्षा को बेहतर बनाती है।