गांधी और रामकृष्ण-विवेकानंद का अनकहा संबंध: डॉ. निखिल यादव की पुस्तक ने खोले नए आयाम
शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन में एक ऐतिहासिक आयोजन हुआ। लेखक और विद्वान डॉ. निखिल यादव की पुस्तक “महात्मा गांधी पर श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद का प्रभाव” का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में महात्मा गांधी के जीवन में रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के गहरे प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।
कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित शोधार्थी, शिक्षाविद, और आध्यात्मिक नेता उपस्थित थे। पुस्तक ने गांधीजी के जीवन के एक कम चर्चित लेकिन महत्वपूर्ण पहलू को सामने रखा है।
डॉ. निखिल यादव: शोध के प्रख्यात विद्वान
डॉ. निखिल यादव, जो वर्तमान में विवेकानंद केंद्र (उत्तर प्रांत) के सह प्रमुख हैं, रामकृष्ण-विवेकानंद परंपरा के प्रतिष्ठित जानकार माने जाते हैं। उन्होंने अपनी पीएचडी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विज्ञान नीति अध्ययन केंद्र से पूरी की है।
इस पुस्तक के जरिये, डॉ. यादव ने महात्मा गांधी के जीवन में छिपे उन अध्यायों को उजागर किया है, जिन्हें अब तक इतिहासकारों ने नजरअंदाज किया। उन्होंने कार्यक्रम में कहा,
“गांधीजी की शिक्षाओं में रामकृष्ण और विवेकानंद की शिक्षाओं की गूंज सुनाई देती है। यह रिश्ता हमें उनके संकलित कार्यों और पत्रों में स्पष्ट दिखता है।”
गांधीजी और रामकृष्ण-विवेकानंद का संबंध
पुस्तक में कई उदाहरण दिए गए हैं, जहां गांधीजी ने अपने विचारों और दर्शन को आकार देने में रामकृष्ण और विवेकानंद की शिक्षाओं को आधार बनाया।
- गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका के दिनों में विवेकानंद के भाषणों का गहरा प्रभाव देखा गया।
- रामकृष्ण परमहंस की “सर्वधर्म समभाव” की भावना गांधीजी के धार्मिक दृष्टिकोण का आधार बनी।
डॉ. यादव ने यह भी प्रश्न उठाया कि यह तथ्य इतने वर्षों तक मुख्यधारा की ऐतिहासिक चर्चा से बाहर क्यों रखा गया।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि
विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख श्री भारत अरोड़ा ने पुस्तक की सराहना की। उन्होंने कहा,
“यह पुस्तक इतिहास को नई दृष्टि देती है। गांधीजी को समझने के लिए रामकृष्ण और विवेकानंद को समझना अनिवार्य है।”
विवेकानंद केंद्र के संगठनकर्ता श्री मानस भट्टाचार्य ने इस सत्र की अध्यक्षता की। साथ ही, डॉ. राज कुमार फलवारिया और डॉ. अनन्या अवस्थी ने अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
गांधीजी पर एक नया दृष्टिकोण
पुस्तक के विमोचन के दौरान, उपस्थित शोधार्थियों और शिक्षाविदों ने गांधीजी की शिक्षाओं पर रामकृष्ण-विवेकानंद के योगदान को लेकर विचार साझा किए।
पुस्तक में उल्लेखित शोध गांधीजी की धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा को समझने के लिए एक नई दृष्टि प्रदान करता है। यह केवल इतिहास नहीं, बल्कि गांधीजी की सोच और उनके दृष्टिकोण को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
पुस्तक की प्रमुख बातें
- गांधीजी के विचारों पर विवेकानंद की “उठो, जागो और तब तक मत रुको” की प्रेरणा का प्रभाव।
- रामकृष्ण परमहंस की साधना और “ईश्वर के विभिन्न रूप” को लेकर गांधीजी की समान सोच।
- दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के संघर्ष के दिनों में इन शिक्षाओं का मार्गदर्शन।