नोएडा सेक्टर-79 स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट: पांच साल बाद भी रजिस्ट्री अटकी, होम बायर्स की बढ़ी मुश्किलें
नोएडा के सेक्टर-79 स्थित स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट के 44 होम बायर्स के लिए परेशानी का दौर जारी है। पांच साल पहले पजेशन मिलने के बावजूद, अब तक उनके फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो सकी है। इस देरी से परेशान बायर्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका आरोप है कि समय पर भुगतान और सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद रजिस्ट्री में देरी की जा रही है।
बायर्स ने अदालत को बताया कि रजिस्ट्री न होने की वजह से वे अपने फ्लैट को बेचने या ट्रांसफर करने में असमर्थ हैं। इस देरी से उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। सर्किल रेट में संभावित वृद्धि से रजिस्ट्री की लागत बढ़ने का भी खतरा है। उनका कहना है कि रजिस्ट्री प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए यह कानूनी कदम जरूरी हो गया था।
स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट की विवादित पृष्ठभूमि
स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट नोएडा प्राधिकरण के बहुप्रतीक्षित स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2010 में हुई थी। इस परियोजना का मकसद नोएडा में खेलों का बुनियादी ढांचा विकसित करना था। 70 फीसदी भूमि स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आरक्षित की गई थी, जबकि बाकी भूमि पर रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट बनाए जाने थे।
नोएडा प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट के लिए चार कंसोर्टियम को भूमि आवंटित की थी। इनमें से जेनाडू एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने सेक्टर 78, 79 और 101 में प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी ली। हालांकि, जेनाडू ने इन जमीनों को 16 हिस्सों में बांट दिया और अलग-अलग प्रोजेक्ट्स शुरू किए। लेकिन रजिस्ट्री की प्रक्रिया में कानूनी और प्रशासनिक अड़चनें लगातार सामने आती रहीं।
बायर्स की समस्याएं और बढ़ती नाराजगी
स्पोर्ट्सवुड प्रोजेक्ट के होम बायर्स ने रजिस्ट्री न होने के चलते कई परेशानियों का सामना किया। उनकी शिकायत है कि पांच साल पहले पजेशन मिलने के बाद भी, रजिस्ट्री प्रक्रिया को जानबूझकर लंबित रखा गया। इससे न केवल बायर्स की संपत्ति की बिक्री में रुकावट आई, बल्कि उनकी आर्थिक योजनाओं पर भी असर पड़ा।
नोएडा प्राधिकरण और जेनाडू एस्टेट के अधिकारियों ने इस मामले में कानूनी और प्रशासनिक कारणों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका दावा है कि प्रोजेक्ट के निर्माण और योजना में कुछ बाधाओं के चलते रजिस्ट्री प्रक्रिया में देरी हुई। हालांकि, बायर्स इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारियां समय पर पूरी कीं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट का निर्देश: 10 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 10 जनवरी 2025 की तारीख तय की है। यह सुनवाई बायर्स के लिए बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि इससे रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति आने की उम्मीद है।
44 बायर्स के लिए यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि भावनात्मक भी बन गया है। अपने सपनों के घर के लिए समय पर भुगतान करने के बावजूद उन्हें रजिस्ट्री न होने का दंश झेलना पड़ रहा है। इस कानूनी लड़ाई का परिणाम आने वाले समय में न केवल इन बायर्स, बल्कि अन्य प्रोजेक्ट्स से जुड़े खरीदारों के लिए भी एक मिसाल साबित हो सकता है।