नीतीश कुमार की राजनीति और बिहार में जारी हलचल: सवालों और चर्चाओं का दौर
उत्तर भारत में जहां ठंड ने अपना असर दिखाया है, वहीं बिहार की राजधानी पटना इन दिनों राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं से गर्म है। एक ओर बीपीएससी की परीक्षा में कथित धांधली को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति पर अटकलें थमने का नाम नहीं ले रहीं।
बीपीएससी विवाद: छात्रों का प्रदर्शन और लाठीचार्ज
पटना में बीपीएससी की परीक्षा दोबारा कराने की मांग को लेकर छात्रों का आंदोलन जारी है। दिसंबर महीने में छात्रों पर तीन बार लाठीचार्ज हुआ, लेकिन इसके बावजूद उनका विरोध कमजोर नहीं पड़ा। छात्रों ने प्रशासन पर कड़े आरोप लगाए और सरकार की नीतियों को आड़े हाथ लिया।
छात्रों का कहना है कि अगर प्रारंभिक स्तर पर ही धांधली रोकी गई होती, तो आज यह स्थिति न बनती। दूसरी ओर, विरोधी दल इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर हैं।
नीतीश कुमार और ‘सीएम’ पद की राजनीति
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर चर्चाओं के केंद्र में हैं। राजनीतिक हलकों में यह अटकलें तेज हैं कि नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए को छोड़कर इंडिया गठबंधन में वापसी कर सकते हैं। हालांकि, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने साफ शब्दों में कहा, “हमारे दरवाजे नीतीश कुमार के लिए बंद हो चुके हैं।”
तेजस्वी के इस बयान को आरजेडी के बदलते रुख का संकेत माना जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आरजेडी नीतीश के बार-बार पाला बदलने से खिन्न है और अब उन्हें पार्टी में वापस लेने का कोई इरादा नहीं रखती।
बीजेपी के साथ रिश्तों पर सवाल
नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच हालात सामान्य नहीं दिख रहे। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान में कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री का फैसला दोनों दलों की बैठक में होगा। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी, महाराष्ट्र में हुए सत्ता समीकरण जैसा कदम बिहार में भी उठा सकती है।
हाल ही में नीतीश कुमार की दिल्ली यात्रा ने अटकलों को और बल दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय नेताओं से मुलाकात नहीं की। इस बीच केंद्र सरकार ने बिहार के राज्यपाल को बदल दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव चुनाव से पहले बड़े कदमों का संकेत हो सकता है।
क्या आगे करेंगे नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार को लेकर चल रही अटकलें उनकी राजनीति की अनिश्चितता को दर्शाती हैं। वे अक्सर अप्रत्याशित फैसले लेते रहे हैं, और उनकी अगली चाल का अनुमान लगाना मुश्किल है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार की राजनीति में यह दौर निर्णायक साबित हो सकता है। छात्र आंदोलन, बीपीएससी विवाद, और मुख्यमंत्री पद पर चल रही चर्चाएं आने वाले समय में राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकती हैं।