औरंगजेब की मजार पर घमासान: फडणवीस बोले- कानून के दायरे में हटे स्मारक

औरंगजेब की मजार विवाद पर बोले CM फडणवीस – कानून के तहत होगा निर्णय
महाराष्ट्र में औरंगजेब की मजार को लेकर विवाद तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद उदयनराजे भोसले ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित इस मजार को हटाने की मांग की है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मांग सभी की है, लेकिन इसे कानून के दायरे में रहकर किया जाना चाहिए।
फडणवीस का बयान: कानून का पालन जरूरी
फडणवीस ने साफ किया कि उनकी सरकार इस मामले पर संवेदनशील है। उन्होंने कहा, “हम सभी यही चाहते हैं, लेकिन यह एक संरक्षित स्मारक है। इसे पिछली कांग्रेस सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में दे दिया था। इसलिए कोई भी कदम कानूनी प्रक्रिया के तहत ही उठाया जाएगा।”
‘छावा’ फिल्म से फिर उठा मुद्दा
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘छावा’ ने इस विवाद को और हवा दे दी। फिल्म मराठा शासक संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, जिसमें औरंगजेब की भूमिका अक्षय खन्ना ने निभाई है। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह औरंगजेब ने 1689 में संभाजी महाराज को क्रूरता से मरवा दिया था। फिल्म के बाद, एक बार फिर इतिहास को लेकर बहस छिड़ गई है।
समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के बयान ने इस विवाद को और भड़का दिया। आजमी ने कहा, “औरंगजेब कोई क्रूर शासक नहीं था। उसने कई मंदिर बनवाए और भारत को ‘सोने की चिड़िया’ बनाए रखा।” उनके इस बयान से राजनीतिक हलकों में हंगामा मच गया।
शिवाजी-औरंगजेब का ऐतिहासिक संघर्ष
शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच टकराव ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध है। 1666 में औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा बुलाकर कैद करने की कोशिश की, लेकिन वे चतुराई से भाग निकले। बाद में, संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की कमान संभाली और मुगलों से लोहा लिया। 1689 में औरंगजेब ने संभाजी को पकड़कर उनकी निर्मम हत्या कर दी। यह मराठा-मुगल संघर्ष का सबसे क्रूर अध्याय बना।
वर्तमान में औरंगजेब की मजार एएसआई के संरक्षण में है। इसे हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अनिवार्य होगी। फडणवीस ने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी, लेकिन किसी भी कार्रवाई के लिए नियमों का पालन किया जाएगा। इस मुद्दे पर आगे क्या निर्णय लिया जाता है, यह देखने वाली बात होगी।