चीन-भारत संबंधों में सुधार की दिशा: अजीत डोभाल की यात्रा पर विशेष
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की चीन यात्रा ने भारत-चीन संबंधों में एक नई उम्मीद जगाई है। चार साल के लंबे गतिरोध और कई विवादों के बाद, यह बातचीत दोनों देशों के बीच शांति और आपसी विश्वास को बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
वार्ता की अहमियत
यह बैठक 23वीं विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता थी, जिसे 2003 में शुरू किया गया था। पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चल रहे सैन्य तनाव के बाद, यह पहली संरचित बातचीत थी। इस वार्ता में भारत और चीन के प्रतिनिधियों ने छह सूत्री सर्वसम्मति पर सहमति व्यक्त की। इसका उद्देश्य सीमा विवाद को सुलझाना और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित करना है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के अनुसार, छह सूत्री सर्वसम्मति में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
- सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए 21 अक्टूबर के प्रस्ताव को सकारात्मक रूप से लागू करना।
- सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किए बिना हल करना।
- दोनों देशों के बीच विश्वास-निर्माण उपायों को मजबूत करना।
- निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने की प्रतिबद्धता।
- सीमा प्रबंधन के नियमों को परिष्कृत करना।
- विशेष प्रतिनिधियों की बैठक तंत्र को और मजबूत करना।
विशेषज्ञों की राय
सिचुआन इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लॉन्ग ज़िंगचुन ने कहा, “यह बैठक दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को गहरा करने में सहायक होगी।” उन्होंने इसे एक सकारात्मक संकेत बताया जो सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की मंशा को दर्शाता है।
सिंघुआ विश्वविद्यालय के कियान फेंग ने कहा, “मोदी और शी जिनपिंग की कज़ान बैठक के तुरंत बाद यह वार्ता दिखाती है कि दोनों पक्ष समाधान की ओर बढ़ रहे हैं।”
सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंध
भारत-चीन सीमा 3,488 किलोमीटर तक फैली हुई है, जहां कई दशकों से विवाद जारी है। इस वार्ता के जरिए, दोनों पक्षों ने सीमा विवाद को उचित संदर्भ में रखते हुए समग्र द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
एनएसए अजीत डोभाल की यात्रा ने चीन और भारत के बीच कूटनीतिक वार्ता के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। दोनों पक्षों ने अगले साल भारत में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की।